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प्यारे दोस्तो
नवरात्रिकी प्रथम शुभरात्रीके लिये मेरी शुभेच्छाएं. आप नव दिनके नव रासका पहला गीत सुन रहे हैं. 'मेंदी रंग लाग्यो' (मेंहदीका रंग लगा) डांडियारासके लोकगीतोंमें शायद सबसे लोकप्रिय गीत है. गीतकी शुरूआत एकदम काव्यमय है. मेंहदीको माळ्वा (राजस्थान)मे गाडी, और उसका रंग गुजरात तक पहूंचा! बिरहन परदेस गये साजनके बियोगमें व्यथित है. लाडला देवर भाभीका दिल बहलानेके लिये मेंहदीके पौधे ले आता है. लेकिन वियोगिनी कहती है, " हाथ रंग कर भैया! क्या करुं, उसे देखनेवाला जो परदेसमें है?"
इस लोकगीतकी लोकप्रियता इतनी है कि डांडियारासका कोई कार्यक्रम नहीं होगा, जहां बो गाया नहीं जायेगा. गीतकी लोकप्रियताकी प्रेरणासे, १९६०के दशकमें, 'मेंदी रंग लाग्यो' गुजराती फिल्म बनीथी जिसमें हिन्दी फिल्मजगतके सुपरस्टार राजेंद्रकुमारने मुख्य अदाकारी की थी. लता मंगेशकरने यह गीत फिल्मके लिये गाया था.
दमयंती बरडाई, देहाती लोकगायिका, गुजराती लोकसंगीतकी लता मंगेशकर है. बहुत सालसे उनके गाने गुजरातमें अत्यंत लोकप्रिय है. उन्होंने ढेरसी गुजराती फिल्मोंमें भी गाने गाये हैं. कोमल आवाझमें धमाकेदार जोश आपको बहुत कम आवाजोंमें सुननेको मिलेगा.
आशा है यह गीत सुनकर आपको भी जोश आ जायेगा.
घनश्याम ठक्कर
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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भूरी शाहीनां खळखळ
कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती सीडी काव्यसंग्रह |
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