मेरी मटकी से जमुना बहा दूँगी, श्याम! मेरे आंगन में रास जो रचाएं
कोई कहे पायल की नफ्फट बाजार है ये, कोई कहे ये मेरा गांव,
कैसे चलुं कि मेरी खाली है जेब, और पायल बिन भारी है पांव!
मेरे पांवो में घुंघरुं बंधवादे तो, श्याम! सारी नगरी को थनथन नचाएं
मेरी मटकी से जमुना बहा दूँगी, श्याम! मेरे आंगन में रास जो रचाएं
वृंदावन क्या? मेरे बाग में तो आते हैं घास के भी सपने अब पीले,
गोकुल की मिट्टी का करदे गुलाल, ऐसे लाल लाल चेहरे रसीले.
मेरी सांसो में कोयल कुहका दूँगी, श्याम! मेरे कानमें जो बांसुरी बजाये.
मेरी मटकी से जमुना बहा दूँगी, श्याम! मेरे आंगन में रास जो रचाएं