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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती सीडी काव्यसंग्रह |
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Music * Poetry * Literature * Comedy * Entertainment * Performing Arts |
संगीत़़ * कविता * साहित्य * हास्य * मनोरंजन |
नील-मशी की यमुना के तट पर(गीत)घनश्याम ठक्करकोरे कागज़ के परिधान पहन के कोई, बिलकुल नि:शुल्क बेचे नीली कलम!
नील-मशी की यमुना के तट पर पनिहारी के 'प्रेमपत्र के अक्षर' जैसे स्मित, कलम बने शहनाई तब तो हर एक खत दोहराए होली गीत.......
स्याही-उर्वर इन आंखो के दवात, जैसे बंद तिजोरी में विधवा के जेवर!
वस्त्र उपर एक नाम लिखो तो अनपढ बच्चों की माता की छिछली छाती छलछल छलके स्याही. वस्त्र ऊपर एक ग्राम लिखो तो हरे विपिन के नक्शे करदे शुष्क पर्ण के खोये-उलझे राही .
नील-मशी-आंसू में टपके दो हजार और दस (2010) निद्रा कि असकत........
Posted by Ghanshyam Thakkar
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राधाकी व्यथा (गीत) - घनश्याम ठक्कर
पर-घर |
Computer-Art: Ghanshyam Thakkar |
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