(Ghanshyam Thakkar = Oasis Thacker) |
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संगीत़़ * कविता * साहित्य * हास्य * मनोरंजन |
परिचय उसके पहले कहो 'घनश्याम'को बरसनेको, - अपने दरियेको सनम और भी गहरा करदो |
घनश्याम ठक्कर |
ऐसे काव्योंके रचयिता घनश्याम ठक्कर एक बहुमुखी आदरणीय प्रतिभा है. संगीत, साहित्य, एन्जिनियरिंग, मेनेजमेंट, आन्टरप्रनूरशीप, स्टुडियो रेकोर्डिंग, वेब-पेज डिझाईन, ब्लोगींग इत्यादी क्षेत्रोंमें सर्जन, अभ्यास या व्यवसायके ताल्लुकसे उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है. हालांकि उन्होंने व्यवहारानेसारीर शिक्षा एन्जिनियरिंग और मेनेजमेंटकी कोलेजोंमें ली है; काव्य सर्जन, संगीत सर्जन, ऑर्क्रेस्ट्रा अरेंजमेंट, ड्रमसेट-बॉन्गो-कॉन्गो-ढोलक बजाना, कीवॉर्ड पर हर किस्मके वाजिन्त्र बजाना, सिन्थेसाईझर पर सिकवंसीग करना, और संगीत संबंधी कुछ और जरूरी कौशल, बिना गुरु या बिद्यालय, अपने आप हासिल किया है. संगीत और कविताके संवर्धनके लिये, कुछ १५-२० सालसे घनश्यामजी लाखों डोलरकी आमदानीकी कुरबानी करके, सिर्फ दाल-रोटीके लिये जरूरी एन्जिनियरिंग-मेनेजमेंटकी प्रेक्टिस करते हैं. दोस्तों-रिश्तेदारोंसे मिलना-जुलना लगभग बंध करके एकांतवासमें जी रहे हैं. गलत मत समजना. वे साधु नही बन गये है. न तो उन्हें एन्जिनियंरिंग-मेनेजमेंटके पेशेसे नफरत है, न तो संपत्तिसे या सामाजिकतासे. लेकिन जीवन-अवधिकी वास्तविकतासे भी वे अभिज्ञ है. कविवर रॉबर्ट फ्रॉस्टके शब्दोंमें 'Miles to go, before I sleep.' उनके दिलोदिमागकी चेतन-अवचेतन भूमिमें जो भी सर्जन है, उसे दुनियाको प्रदान करनेके लिये वे घडीसे स्पर्धा कर रहे हैं. जल्द ही उनका संगीत और काव्यपठन आप डाउनलोड कर सकोगे, और उनके आलबम Ebay पर खरीद सकोगें. इन्टरनेटके बावजूद उनकी नजर बॉलीवुड और हॉलीवुड तरफ भी है. आशा है उनका संगीत खरीदकर आप उनकी सर्जनयात्रामें सहयोग देंगे. साहित्य: कॉलेज-कालसे घनश्यामजी गुजराती भाषाके समर्थ कवि है. उनके प्रथम काव्यसंग्रह 'भूरी शाहीना कूवा कांठे'का प्रवेशक गुजराती साहित्यके युगपुरुष, भारतिय ज्ञानपीठके पुरस्कारसे संमानित, गुजरात युनिवर्सिटीके भूतपूर्व कुलपति कविवर श्री उमाशंकर जोशीने लिखा है. प्रवेशकका शिर्षकः 'नवो मिजाज, नवो अवाज' (नया मिजाज, नयी आवाज). दूसरे काव्यसंग्रह 'जांबूडी क्षणना प्रश्नपादरे' की प्रस्तावना गुजराती भाषाके उत्कृष्ठ आधुनिक साहित्यकार श्री लाभशंकर ठाकरने लिखी है. शिर्षकः 'आधुनिक गुजराती कवितानो एक ध्यानपात्र अवाज' (अद्यतन गुजराती कविताकी एक ख्यात आवाज) १९६९से उनकी कविताएं, कविता, कविलोक, परब, कुमार, समर्पण, नवनीत, नवनीत-समर्पण, विश्वमानव, वैशाखी, और मिलाप जैसे गुजराती साहित्यके सर्वोच्च सामयिकोंमें छपी है. साहित्य और संगीतके उनके प्रदानके लिये मुंबाई और अहमदाबादके दुरदर्शन टी.वी. पर उनका बहुमान हुआ है. गुजराती भाषाके श्रेष्ठ साहित्यकारोंके साथ उन्होने काव्यपठन किया है. फ़िलहाल उनकी गुजराती काव्यपठनकी ओडियो-सीडी 'भूरी शाहीनां खळखळ' प्रसिध्ध हुई है. छंद-लय पर तो उनको बचपनसे ही प्रभुत्व है. हाईस्कूलमें वे शिखरिणी, मंदाक्रान्ता जैसे संस्कृत छंदोंमें लिखा करते थे. आधुनिक कवितामें प्रवेश करनेके बाद अधिकतर वे गझल, गीत-काव्य, और अछांदस कविताएं लिखते हैं. घनश्यामजी हिन्दी और अंगेजीमें भी लिखते हैं. कुछ कविताएं मूल हिन्दी, अंग्रेजी भाषाओंमें लिखी है, तो कुछ उनके गुजराती सर्जन पर आधारित है. जल्द ही, समय मिलने पर, उनका प्रथम हिन्दी काव्यसंग्रह (पुस्तक और ओडियो-सीडीके स्वरूपमें) प्रकाशित होगा. तबतक उनकी हिन्दी कविताएं और अन्य सर्जन आप उनके ब्लोग 'कलापीकेतन' पर पढ सकोगे. कुछ दिनोंमे उनके खुद्के स्वरमें पठित कविताएं आप डाउनलोड भी कर सकोगे. संगीतः काव्यसर्जनकी तरह संगीतसर्जनकी भी घनश्यामजीको कुदरती बक्षीस मिली है. ऐसा कहो कि शब्द, सूर, छंद, और ताल उनके लहूमें साथ साथ बहते हैं. उनके संगीत निर्देशनमें दो गुजराती आलबम प्रसिध्ध हुए हैं. 'आसोपालवनी डाळे' और 'ओ राज रे'. उनका बाद्यसंगीतका आंतरराष्रिय आलवम 'ड्यु ड्रोप्स ओन ध ओएसीस' (Dew Drops on The Oasis) प्रसिध्ध हो चूका है, और उसके गाने जल्द ही डाउनलोड करने के लिय उपलब्ध होंगे. उनके हिन्दी आलबम रिलीझ होनेकी तैयारियां हो रही है. जल्द ही आप कुछ गानोंको डाउनलोड कर सकोगे. इन्टरनेटके बावजुद वे बोलीवुड और होलीवुडमें अपना योगदान देनेकी तमन्ना रखते हैं. परंपरागत रूप से भारतिय संगीतकार, गीतका राग, और जुडा हुआ संगीत हार्मोनियम पर तैयार करके गीतकार, गायक, और ऑर्क्रेस्टा संचालकको समजा देते हैं. फिर गीतकार गीत लिखता है, ओर्क्रेस्ट्रा कंडक्टार तय करता है कि कहां वायोलीन बजेगी, कहां सेक्सोफोन बजेगा, कहां स्ट्रींग्स, तबला, ड्रम्स... इत्यादी. कंडक्टर बो भी सुचन करता है कि गीतका भावको न्याय देनेके लिये वाजिन्त्र किस तरहसे बजेंगे, और गायक किस भावसे गायेगा. फिर गायक गाते हैं, वाद्य कलाकार वाजिंत्र और रीधम बजाते है, रॅकोर्डिंग एन्जिनियर रॅकोर्डिंग और मीक्सींग करता है, और गाना तैयार होता है. सब गाने रॅकोर्ड होनेके बाद मास्टर सीडी तैयार होती है. फिर उसका छोटे या बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. अब सोचो के उपरकी सब जिम्मेदारियां सिर्फे एक व्यक्ति अदा करे तो? तो उन्हें कहते है हमारे घनश्यामजी, याने के ओएसीसजी. वे गीत लिखते हैं, धून बनाते हैं, ऑरकेस्ट्रा अरेंज करते है, सब वाजिंत्र और रीधम अपने सिंथिसाइर पर बजाते हैं म्युझिक-डिरेक्टरकी जिम्मेदारी अदा करते हैं, अपने डीजीटल स्टुडियोमें रॅकोर्डिंग और मीक्सींग करते हैं, मास्टर सीडी बनाते है, जरूरत पडे तो थोडा-बहुत प्रोडक्षन भी कर लेते हैं, और आलबमके प्रोड्युसरकी जिम्मेदारी भी अदा करते हैं. कीबॉर्डके बावजुद, कई सालोंसे बे ड्रमसेट, बॉन्गो, कॉन्गो, ढोलक इत्यादि बजाते हैं. १९७७में डांडिया-रासके प्रोग्रामोमे उन्होंने ड्रमसेट बजानेकी शुरूआत की. उसके बाद सारी दुनियामें उसकी फॅशन हो गई. उनके उन्नत सिंथेसाइझर बहुत सारे वाजिंत्रसे सज्ज आये थे. लेकिन घनश्यामजी अपने दिलमें कुछ ऐसा ध्वनि सुन रहे थे, जो कीबॉर्डमें नहीं थे. खास करके शहनाई, सेक्सोफोन, वायोलिन इत्यादि. उनके आलबममें जो दिलको पिघलादेने वाले मुख्य वाजिंत्र आप सुनते हो, वे घनश्यामजीने खुदने बहुत दिनोंकी मेहनतसे डेवलप किये हैं. उनके 'DewDrops on The Oasis' और अन्य कंपोझिशन्समें उनकी खुदकी अनोखी रीतिका (OasisMusic) संगीत सुनाई देता है. भारतिय संगीतमें उन्हें शास्त्रीय, सुगम, लोकसंगीत(डांडिया रास, भांगडा आदि) और वेस्टर्न फ्युझन संगीतमें रस है. पाश्च्यात संगीतमें जाझ, वेस्टर्न क्लासिकल, पॉप, रॉक, रॉक एन्ड रोल, हिपहॉप, कंट्री एन्ड वेस्टर्न, लॅटीन इत्यादि सब प्रकारके संगीतमें दिलचस्पी है. उसके अलावा अन्य पूर्वी और मध्य-पूर्वी (Oriental and Middle-Eastern) संगीत पर आधारित संगीत रचना वे कर सकते हैं. एन्जिनियरिंग और मॅनेजमेंटः भारतमें गुजरात युनिवर्सिटीमें B.E. Electrical पास करके बे १९७३से अमरिकामें बसे हैं. यु.एस्.ए. में एन्जिनियरिंग और मॅनिजमेंटकी स्नातकोत्तर शिक्षाके साथ साथ उन्होंने बिश्वविख्यात नासामें (NASA) अपने व्यवसायकी शुरूआत की. उसके बाद अमेरिकन एरलाइन्स(American Airlines)के Properties & Facilities Departmentमें प्रॉजेक्ट मेनेजर और मुख्य इलेक्ट्रिकल एन्जिनियरके होद्दे पर सात सालसे ज्यादा समयतक काम किया. वहां लाखों डॉलरके प्रोजेक्ट मेनेज करनेके साथ साथ, Air Transport Association (ATA)की 400Hz Aircraft Ground Power Committeeमें स्थान पा कर, शाखाकी ऊर्जा कुशल पध्धतियोंके विकासमें महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कुछ प्राइवेट कंसल्टिंग एन्जिनियंरिंग कंपनियोंमें भी ऐसी सेवाएं प्रदान की है. १९८०के दशकमें उन्होंने अमरिकामें रेस्टोरंट खरीद कर उसका संचालन किया था.
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सितार (सिन्थेसाईझर) :संगीतः घनश्याम ठक्कर |
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घनश्याम ठक्कर |
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