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copyrights: Oasis Thacker |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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भूरी शाहीनां खळखळ
कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती सीडी काव्यसंग्रह |
KalaPiKetan |
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Music * Poetry * Literature * Comedy * Entertainment * Performing Arts |
संगीत़़ * कविता * साहित्य * हास्य * मनोरंजन |
चल तू अकेला! |
(गीत) |
रवींद्रनाथ टैगोर |
बंगाली-गुजराती भाषांतर : महादेवभाई देसाई |
गुजराती-हिन्दी भाषांतर : घनश्याम ठक्कर |
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए तो चल तू अकेला. चल अकेला , चल अकेला, चल तू अकेला! तेरा आह्वान सुन कोई ना आए तो चल तू अकेला.
जब सबके मुँह पे पाश.. ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुँह पे पाश. हर कोई मुँह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय! तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोशमें आकर, मनका गाना गूँज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय.. ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय.. कानन-कूचकी बेला पर सब कोनेमें छिप जाय! तब भी कंटक-वनमें तेरे शोणित-रंजित चरणसे भाई! दौड तू अकेला.
जब कोई ना दीपक धरे.. ओरे ओरे ओ अभागी! दीपक धरे न कोई.. घोर तुफानी रातको कोई बंध करे जब द्वार बिजली की बातीसे तू खुदको सुलगा कर सबका दिया बन तू अकेला तेरा आह्वान सुन कोई ना आए तो चल तू अकेला. |
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