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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती काव्यसंग्रह |
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भूरी शाहीनां खळखळ
कवि घनश्याम ठक्कर गुजराती सीडी काव्यसंग्रह |
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Photo: Ghanshyam Thakkar |
जब जब फल-प्राप्तिमें व्यस्त हो जाता हूं, तो वृक्षारोपण की अवज्ञा होती है. जब नये बृक्षारोपणमें तन्मय हो जाता हूं, तब पुराने पेडोंके पके फल पेड पर ही सुख जाते हैं. कुछ परिमितताएं भी है. दिनमें सिर्फ २४ घंटे हैं, मेरे हाथ सिर्फ ढाई फूट लंबे है, और मेरे दिमागका व्यास केवल १ ईंचका है!
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